Bachpan Shayari In Hindi – इस Post में हम पढेंगे Bachpan Shayari In Hindi जिसमे आप पढ़ेंगे एक से बढ़कर एक Heart Touching Bachpan Shayari जो आपको बहुत ही पसंद आने वाला हैं।
तो दोस्तों स्वागत है आपका फिर से Aloneboy.in में जहा पर हम आपके लिए लेकर आयें बेहतरीन ३००+ बचपन शायरी इन हिन्दी जिसकी मदद से अपने अन्दर की Feeling किसी दुसरे के साथ आसानी से share कर सकते हैं। मुझे आशा है की आपको यहाँ पर दिए गए Bachpan Shayari 2 Line बहुत ही पसंद आएगी।
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Bachpan Shayari In Hindi
जिंदगी फिर कभी न मुस्कुराई ✒बचपन की तरह,
मैंने मिट्टी भी जमा की खिलौने भी लेकर देखे।
चलो के आज ✒ बचपन का कोई खेल खेलें,
बडी मुद्दत हुई बेवजाह हँसकर नही देखा।
कितना आसान था ✒ बचपन में सुलाना हम को,
नींद आ जाती थी परियों की कहानी सुन कर।
आजकल आम भी पेड़ से खुद गिरके टूट जाया करते हैं,
छुप छुप के इन्हें तोड़ने वाला अब ✒ बचपन नहीं रहा।
रोने की वजह भी न थी, न हंसने का बहाना था,
क्यो हो गए हम इतने बडे, इससे अच्छा तो वो ✒ बचपन का जमाना था।
कितने खुबसूरत हुआ करते थे ✒ बचपन के वो दिन,
सिर्फ दो उंगलिया जुड़ने से दोस्ती फिर से शुरु हो जाया करती थी।
बचपन में तो शामें भी हुआ करती थी,
अब तो बस सुबह के बाद रात हो जाती है।
चले आओ कभी टूटी हुई चूड़ी के टुकड़े से, वो ✒
बचपन की तरह फिर से मोहब्बत नाप लेते हैं।
सुकून की बात मत कर ऐ दोस्त, ✒
बचपन वाला इतवार अब नहीं आता।
किसने कहा नहीं आती वो ✒ बचपन वाली बारिश,
तुम भूल गए हो शायद अब नाव बनानी कागज़ की।
लौटा देती ज़िन्दगी एक दिन नाराज़ होकर,
काश मेरा ✒ बचपन भी कोई अवार्ड होता।
बाग़ में तितली को पकड़ खुश होना,
तारे तोड़ने जितनी ख़ुशी देता था।
कितने खुबसूरत हुआ करते थे ✒ बचपन के वो दिन,
सिर्फ दो उंगलिया जुड़ने से दोस्ती फिर से शुरु हो जाया करती थी।
देर तक हँसता रहा उन पर हमारा ✒ बचपना,
जब तजुर्बे आए थे संजीदा बनाने के लिए।
चले आओ कभी टूटी हुई चूड़ी के टुकड़े से वो ✒
बचपन की तरह फिर से मोहब्बत नाप लेते हैं।
दूर मुझसे हो गया बचपन मगर
मुझमें बच्चे सा मचलता कौन है
बचपन में आकाश को छूता सा लगता था
इस पीपल की शाख़ें अब कितनी नीची हैं
मेरा बचपन भी साथ ले आया
गाँव से जब भी आ गया कोई
कितने खुबसूरत हुआ करते थे
बचपन के वो दिन,
सिर्फ दो उंगलिया जुड़ने से,
दोस्ती फिर से शुरु हो जाया करती थी।
बचपन के दिन भी कितने अच्छे होते थे
तब दिल नहीं सिर्फ खिलौने टूटा करते थे
अब तो एक आंसू भी बर्दाश्त नहीं होता
और बचपन में जी भरकर रोया करते थे
तभी तो याद है हमे
हर वक़्त बस बचपन का अंदाज
आज भी याद आता है
बचपन का वो खिलखिलाना
दोस्तों से लड़ना, रूठना, मनाना
छुट गया वो खेलने जाना,
पेडोँ की छाँव मे वक्त बिताना.
वो नदियोँ मे नहाने जाना,
शाम ढले घर वापस आना.
Heart Touching Bachpan Shayari
करता रहूं बचपन वाली नादानियां उम्र भर,
ना जाने क्यों दुनिया वाले उम्र बता देते है।
ज़िन्दगी के कमरे में एक बचपन का कोना है,
समेटनी हैं उसकी यादें,
और उन यादों में खोना है।
वो बड़े होने से डरता है,
इसीलिए बचपना करता है।
वो रेत पर भी लिख देता था अपनी कहानी,
वो बचपन था उसे माफ़ थी अपनी नादानी।
उम्र के साथ ज्यादा कुछ नहीं बदलता,
बस बचपन की ज़िद्द
समझौतों में बदल जाती है।
तू बचपन में ही साथ छोड़ गयी थी,
अब कहाँ मिलेगी ऐ जिन्दगी,
तू वादा कर किसी रोज ख़्वाब में मिलेगी।
बचपन की दोस्ती थी बचपन का प्यार था
तू भूल गया तो क्या तू मेरे बचपन का यार था
बस इतनी सी अपनी कहानी है,
एक बदहाल-सा बचपन,
एक गुमनाम-सी जवानी है।
चुपके-चुपके, छुप-छुपा कर लड्डू उड़ाना याद है.
हमको अब तक बचपने का वो जमाना याद है..!!
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जो सोचता था बोल देता था,
बचपन की आदतें कुछ ठीक ही थी
शरारत करने का मन तो अब भी करता हैं,
पता नही बचपन ज़िंदा हैं या ख़्वाहिशें अधूरी हैं।
सपनों की दुनियाँ से तबादला हकीकत में हो गया,
यक़ीनन बचपन से पहले उसका बचपना खो गया।
सुकून की बात मत कर ए ग़ालिब
बचपन वाला इतवार अब नही आता
बचपन से पचपन तक का सफ़र यूं बीत गया साहब,
वक़्त के जोड़ घटाने में सांसे गिनने की फुरसत न मिली।
बचपन में जहां चाहा हंस लेते थे जहां चाहा रो लेते थे,
पर अब मुस्कान को तमीज़ चाहिए और आंसूओं को तनहाई.
फ़क़त माल-ओ-ज़र-ए-दीवार-ओ-दर अच्छा नहीं लगता
जहाँ बच्चे नहीं होते वो घर अच्छा नहीं लगता
जिम्मेदारियों ने वक्त से पहले
बड़ा कर दिया साहब,
वरना बचपन हमको भी बहुत पसंद था।
नींद तो बचपन में आती थी,
अब तो बस थक कर सो जाते है।
जो सपने हमने बोए थे
नीम की ठंडी छाँवों में,
कुछ पनघट पर छूट गए,
कुछ काग़ज़ की नावों में।
बहुत खूबसूरत था,
महसूस ही नहीं हुआ,
कब कहां और कैसे
चला गया बचपन मेरा।
पुरानी अलमारी से देख मुझे खूब मुस्कुराता है,
ये बचपन वाला खिलौना मुझें बहुत सताता है।
बचपन से जवानी के सफर में,
कुछ ऐसी सीढ़ियाँ चढ़ते हैं..
तब रोते-रोते हँस पड़ते थे,
अब हँसते-हँसते रो पड़ते हैं।
Bachpan Shayari In Hindi
लगता है माँ बाप ने बचपन में खिलौने नहीं दिए,
तभी तो पगली हमारे दिल से खेल गयी.
देखा करो कभी अपनी माँ की आँखों में भी,
ये वो आईना हैं जिसमें बच्चे कभी बूढ़े नही होते।
मुमकिन है हमें गाँव भी
पहचान न पाए,
बचपन में ही हम घर
से कमाने निकल आए।
अजीब सौदागर है ये वक़्त भी
जवानी का लालच दे के बचपन ले गया.
जिस के लिए बच्चा रोया था और पोंछे थे आँसू बाबा ने
वो बच्चा अब भी ज़िंदा है वो महँगा खिलौना टूट गया
एक इच्छा है भगवन मुझे सच्चा बना दो,
लौटा दो मेरा बचपन मुझे बच्चा बना दो ।
बचपन में हम ही थे या था और कोई
वहशत सी होने लगती है यादों से
इक खिलौना जोगी से खो गया था बचपन में
ढूँढता फिरा उस को वो नगर नगर तन्हा
असीर-ए-पंजा-ए-अहद-ए-शबाब कर के मुझे
कहाँ गया मिरा बचपन ख़राब कर के मुझे
फ़क़त माल-ओ-ज़र-ए-दीवार-ओ-दर अच्छा नहीं लगता
जहाँ बच्चे नहीं होते वो घर अच्छा नहीं लगता
शौक जिन्दगी के अब जरुरतो में ढल गये,
शायद बचपन से निकल हम बड़े हो गये।
अपना बचपन भी बड़ा कमाल का हुआ करता था,
ना कल की फ़िक्र ना आज का ठिकाना हुआ करता था।
भटक जाता हूँ
अक्सर खुद हीं खुद में,
खोजने वो बचपन जो कहीं खो गया है।
किसने कहा, नहीं आती वो बचपन वाली बारिश,
तुम भूल गए हो शायद अब नाव बनानी कागज़ की।
बिना समझ के भी, हम कितने सच्चे थे,
वो भी क्या दिन थे, जब हम बच्चे थे।
मुखौटे बचपन में देखे थे, मेले में टंगे हुए,
समझ बढ़ी तो देखा लोगों पे चढ़े हुए।
कोई तो रुबरु करवाओ
बेखोफ़ हुए बचपन से,
मेरा फिर से बेवजह
मुस्कुराने का मन हैं।
आसमान में उड़ती
एक पतंग दिखाई दी,
आज फिर से मुझ को
मेरी बचपन दिखाई दी।
खेलना है मुझे मेरी माँ की गोद में,
के फिर लौट के आजा मेरे बचपन।
हंसने की भी, वजह ढूँढनी पड़ती है अब;
शायद मेरा बचपन, खत्म होने को है.
बचपन तो वहीं खड़ा इंतजार कर रहा है,
तुम बुढ़ापे की ओर दौड़ रहे हो।
Yaadein Bachpan Shayari |
|
मुझको यक़ीं है सच कहती थीं जो भी अम्मी कहती थीं
जब मेरे बचपन के दिन थे चाँद में परियाँ रहती थीं
कभी कभी लगता है
लौट आए वो बचपन फिर से,
औऱ भूल जाए खुदको पापा की गोद मे।
फ़िक्र से आजाद थे और, खुशियाँ इकट्ठी होती थीं..
वो भी क्या दिन थे, जब अपनी भी,
गर्मियों की छुट्टियां होती थीं.
होठों पे मुस्कान थी कंधो पे बस्ता था..
सुकून के मामले में वो जमाना सस्ता था..!!
वो पुरानी साईकिल वो पुराने दोस्त जब भी मिलते है,
वो मेरे गांव वाला पुराना बचपन फिर नया हो जाता है।
बचपन में खेल आते थे हर इमारत की छाँव के नीचे…
अब पहचान गए है मंदिर कौन सा और मस्जिद कौन सा..!!
कितने ख़ूबसूरत हुआ करते थे बचपन के वो दिन
उँगलीया जुड़ते ही दोस्ती होजाया करती थी
किलो के भाव बिक गयी वो कापियाँ ,
जिन पर कभी very good dekh कर फूले नहीं समाते थे
झूठ बोलते थे ,
फिर भी कितने सच्चे थे ,
हम उन दिनो की बात है जब बच्चे थे हम
बचपन ही था जब हम छोटी छोटी बातों पर रोया करते थे
आज गम के समन्दर हो फिर भी हम रो नहीं सकते
मैं ने बचपन मै अधूरा ख़्वाब देखा था कोई ,
आज तक मसरूफ़ हूँ उस ख़्वाब की तकमील में
रोने की वजह भी ना थी ना हसने का बहाना था
क्यू हो गये हम इतने बड़े इससे अच्छा तो वो बचपन का ज़माना था
ना कुछ पाने की आशा ना कुछ खोने का डर बस अपनी ही धुन ,
बस अपने सपनो का घर काश मिल जाए फिर मुझे वो बचपन का पहर
दौड़ने दो खुले मैदानो में इन नन्हे कदमों को
जनाब ज़िंदगी बहुत तेज भागती है
आशियाने जलाए जाते हैं जब तन्हाई की आग से,
तो बचपन के घरोंदो की वो मिट्टी याद आती है
चार दोस्त ,
दो साईकिल,
ख़ाली जेब,
और पूरा शहर
इतनी चाहत तो लाखों रुपए पाने की भी नहीं होती है,
जितनी बचपन की तस्वीर देखकर बचपन में जाने की होती है
उड़ने दो परिंदो को अभी शोख़ हवा में
फिर लौट के बचपन के जमाने नहीं आते
मेरा बचपन भी साथ ले आया गाँव से
जब भी आ गया कोई
मुमकिन है हमें गाँव भी पहचान न पाए,
बचपन में ही हम घर से कमाने निकल आए
सुकून की बात मत कर ए ग़ालिब ,
बचपन वाला इतवार अब नहीं आता
फ़िक्र से आज़ाद थे और, ख़ुशियाँ इकठी होती थी
वो भी क्या दिन थे जब गर्मियों की छुट्टियाँ हुआ करती थी
Bachpan Shayari In Two Lines |
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ज़िंदगी छोड़ आया हूँ कहीं उन गलियों मे
जहाँ कभी दौड़ जाना ही ज़िंदगी हुआ करती थी
अरे वो बचपन वाली अमीरी ना जाने कहाँ खो गयीं
जब जहाज़ हवा में हमारे भी उड़ा करते थे
हम भी मुस्कुराते थे कभी बेपरवाह अन्दाज़ से देखा है
आज खुद को कुछ पुरानी तस्वीरों में
बचपन में मेरे दोस्तो के पास घड़ी नहीं थी पर समय सबके पास था ,
आज सबके पास घड़ी है पर समय किसी के पास नही
बचपन में तो शाम भी हुआ करती थी ,
अब तो बस सुबह के बाद रात हो जाती है
अपने बच्चो को मैं बातों में लगा लेता हूँ
जब भी आवाज़ लगाता है खिलौने वाला
लगता है जिंदगी आज कुछ ख़फ़ा है
चलिए छोड़िए कौन सी पहली दफ़ा है
क्या पता, कब कहाँ
मारेगी,
बस की मैं जिंदगी से
डरता हूँ,
मौत का क्या है,
एक बार मारेगी….
भूलने की कोशिश करते हो
आख़िर इतना क्यों सहते हो
डूब रहे हो और बहते हो
दरिया किनारे क्यों रहते हो
तारीफ़….
अपने आप की करना फ़िज़ूल है
खुशबु….
खुद बता देती है कौन सा फूल है।
ये माना इस दौरान कुछ साल बीत गए हैं
फिर भी आँखों में चेहरा तुम्हारा समाये हुए है
किताबों पे धुल जमने से कहानी कहाँ बदलती है
ऐ उम्र….
अगर दम है तो कर दे
इतनी सी खता
बचपन तो छीन लिया,
बचपना छीन कर बता।
बचपन में भरी दुपहरी में
नाप आते थे पूरा मोहल्ला,
जब से डिग्रीयाँ समझ में आई
पाँव जलने लगे।
अक्सर वही दिये
हाथों को जला देते हैं,
जिसको हम हवा से
बचा रहे होते हैं।
कौन कहता है कि
हम झूठ नहीं बोलते
एक बार खैरियत तो
पूछ के देखिये।
उम्र के साथ ज्यादा कुछ नहीं बदलता,
बस बचपन की ज़िद्द
समझौतों में बदल जाती है।
बचपन भी क्या खूब था,
जब शामें भी हुआ करती थी,
अब तो सुबह के बाद,
सीधा रात हो जाती है।
वो बचपन की अमीरी ना जाने
कहां खो गई जब पानी में
हमारे भी जहाज चलते थे।
कुछ यूं कमाल दिखा दे ऐ जिंदगी,
वो बचपन ओर बचपन के दोस्तो
से मिला दे ऐ जिंदगी।
कहां समझदार हो गए हम,
वो नासमझी ही प्यारी थी,
जहां हर कोई दोस्त था,
हर किसी से यारी थी।
महफ़िल तो जमी बचपन
के दोस्तों के साथ,
पर अफ़सोस अब बचपन नहीं है
किसी के पास।
जिम्मेदारियों ने वक्त से पहले
बड़ा कर दिया साहब,
वरना बचपन हमको भी बहुत पसंद था।
Bachpan Shayari |
|
अजीब सौदागर है ये वक़्त भी,
जवानी का लालच दे के बचपन ले गया।
इतनी चाहत तो लाखो
रुपए पाने की भी नहीं होती,
जितनी बचपन की तस्वीर
देखकर बचपन में जाने की होती है।
कौन कहता है कि मैं जिंदा नहीं,
बस बचपन ही तो गया है बचपना नहीं।
झूठ बोलते थे फिर भी कितने सच्चे थे हम
ये उन दिनों की बात है जब बच्चे थे हम
खुदा अबके जो मेरी कहानी लिखना
बचपन में ही मर जाऊ ऐसी जिंदगानी लिखना!!
बचपन के दिन भी कितने अच्छे होते थे
तब दिल नहीं सिर्फ खिलौने टूटा करते थे
अब तो एक आंसू भी बर्दाश्त नहीं होता
और बचपन में जी भरकर रोया करते थे
कोई मुझको लौटा दे वो बचपन का सावन,
वो कागज की कश्ती वो बारिश का पानी।
बचपन के खिलौने सा कहीं छुपा लूँ तुम्हें,
आँसू बहाऊँ, पाँव पटकूँ और पा लूँ तुम्हें।
चुपके-चुपके ,छुप-छुपा कर लड्डू उड़ाना याद है.
हमकोअब तक बचपने का वो जमाना याद है..!!
बचपन में खेल आते थे हर इमारत की छाँव के नीचे…
अब पहचान गए है मंदिर कौन सा और मस्जिद कौन सा..!!
बचपन की दोस्ती थी बचपन का प्यार था
तू भूल गया तो क्या तू मेरे बचपन का यार था
बच्चो के छोटे हाथों को चाँद सीतारे छूने दो ,
चार किताबें पढ़ कर ये भी हम जैसे हो जएंगे
अब तक हमारी उम्र का बचपन नहीं गया
घर से चले थे जेब के पैसे गिरा दिए
जब घर में रहते थे तब आज़ादी दिल को भाती थी ,
आज आज़ादी है तो बस घर जाने को दिल करता है
काश मैं लौट जाऊँ बचपन की उन हसीं वादियों में ए ज़िंदगी
जब न तो कोई ज़रूरत थी और न ही कोई ज़रूरी था
ज़िंदगी की दौड़ में तजुर्बा कच्चा ही रह गया,
हम सीख न पाए फ़रेब और दिल बच्चा ही रह गया
किसने कहा नहीं आती अब वह बचपन वाली बारिश
तुम भूल गए हो शायद अब वह नाव बनाने काग़ज़ की
बचपन का टूटा हुआ खिलौना मिला
उसने मुझे आज भी रुलाया और कल भी
बचपना अब भी वही है हम में
बस ज़रूरतें बड़ी हो गयीं हैं
मुझे और कुछ नहीं चाहिए बस बचपन का सावन ,
वो काग़ज़ की कश्ती , वो बारिश का पानी
कुछ नहीं चाहिए तुझ से ए मेरी उम्र-ए-रवाँ मेरा बचपन ,
मेरे जुगनू , मेरी गुड़िया ला दे
कई सितारों को मैं जानता हूँ बचपन से,
कहीं भी जाऊँ मेरे साथ साथ चलते है
Bachpan Shayari 2 Line |
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मेरे रोने का जिस में क़िस्सा है
उम्र का बेहतरीन हिस्सा है
ईमान बेचकर बेईमानी ख़रीद ली बचपन बेचकर जवानी ख़रीदली ना वक़्त ,
ना ख़ुशी , ना सुकून सोचता हूँ ये कैसी जिंदगानी ख़रीद ली
याद होती जाती है जवाँ बारिश के मौसम में तो,
बचपन की वो काग़ज़ की नाव याद आती है
बचपन गुजर जाने के बाद बचपन की वो यादें
अब भी आती हैं रोते में अब भी वो हँसा जाती है
एक इच्छा है भगवान मुझे सच्चा बना दो ,
लौटा दो मेरा बचपन मुझे बच्चा बना दो
बचपन में जहां चाहा हंस लेते थे ,
जहां चाहा रो लेते थे और अब मुस्कान को तमीज़ चाहिए
और आसुओं को तन्हाई
बचपन भी कमाल का था खेलते खेलते चाहे छत पर सोयें
या जमीं पर आँख बिस्तर पर ही खुलती थी
ये दौलत भी लेलो
ये शोहरत भी ले लो
भले छीन लो मुझ से मेरी जवानी
मगर मुझे मेरा बचपन लौटा दो
वो बचपन के दोस्त कितने सच्चे थे
लौटा दो हमारा गुजरा हुआ वक़्त हम बचपन में ही अच्छे थे
बेफ़िक्र हँसी और ख़ुशियों का ख़ज़ाना था ,
कितना खूबसूरत वो बचपन का ज़माना था
बचपन नादान था
पर बड़ा ही शानदार था .
कितना भी परेशान करूँ
वो गिला नहीं करते
वो बचपन वाले दोस्त
अब मिला नहीं करते
मैंने मिट्टी भी जमा की, खिलौने भी लेकर देखे,
जिन्दगी में वो मुस्कुराहट नही आई जो बचपन में देखे.
बचपन साथ रखियेगा जिंदगी की शाम में,
उम्र महसूस नहीं होगी सफ़र के मुकाम में.
ना जाने वो बच्चा किस खिलौने से खेलता है,
जो दिन भर बाजार में खिलौने बेचता है.
स्कूल का वो बैग,
फिर से थमा दे माँ…
यह जिन्दगी का बोझ
उठाना मुश्किल हैं…
वो बचपन की अमीरी न जाने कहाँ खो गई,
बारिश, पानी और जहाज की बातें ख्वाब हो गई.
रोने की वजह भी न थी
न हंसने का बहाना था
क्यो हो गए हम इतने बडे
इससे अच्छा तो वो बचपन का जमाना था
बचपन में ही ज़िम्मेदारियों को मैंने बढ़ते हुए देखा हैं,
मैंने अपने अंदर एक बच्चे को मरते हुए देखा हैं.
बच्चों के छोटे हाथों को चाँद सितारे छूने दो,
चार किताबें पढ़ कर ये भी हम जैसे हो जाएँगे.
आज भी याद आता है
बचपन का वो खिलखिलाना
दोस्तों से लड़ना, रूठना, मनाना
माँ, पिता, शरारतें, आँसू का जिसमें किस्सा है,
बचपन ही मेरी जिन्दगी का बेहतरीन हिस्सा है.
Bachpan Shayari Hindi |
|
बचपन के खुशियों वाला खेल कोई फिर से खिला दे,
मेरी दौलत-शोहरत ले ले और मुझे बच्चा बना दे.
कितना प्यारा होता है बचपन,
जिसमें खिला रहता हमेशा मन,
खेल-कूद में बीच जाता सारा दिन,
और रातें कट जाती तारे गिन-गिन.
बचपन से जवानी के सफर में,
कुछ ऐसी सीढ़ियाँ चढ़ते हैं,
तब रोते-रोते हँस पड़ते थे,
अब हँसते-हँसते रो पड़ते हैं.
शौक जिन्दगी के अब जरूरतों में ढल गये हैं,
शायद बचपन से निकलकर हम बड़े हो गये हैं.
दिल का सुकून और होठों का मुस्कान लौटा दे,
बता ऐ जिंदगी में ऐसा क्या करू तेरे लिए…
आसमान में उड़ती एक पतंग दिखाई दी,
आज फिर से मुझ को मेरी बचपन दिखाई दी.
“ बिना किस्से कहानी सुने नींद ना आना,
माँ की गोद में थक हार कर सो जाना…!!
“ रब से है एक ही कामना,
काश लौट आए मेरा बचपना..!!
“ दादी-नानी की कहानी में
होता था परियों का फसाना,
बचपन था हमारा खुशियों का खजाना…!!
“ वो बचपन तो कल ही आया था,
जिसने हमें मुस्कुराना सिखाया था…!!
“ हे ईश्वर! मुझे मेरा बचपन लौटा दो,
एक बार फिर से मुझे बच्चा बना दो..!!
“ मेरी जिंदगी का वो बेहतरीन हिस्सा है
जिसमें मेरे रोने का किस्सा है…!!
“ भटक जाता हूँ
अक्सर खुद हीं खुद में,
खोजने वो बचपन जो
कहीं खो गया है…..!!
“ बचपन में कुछ ऐसी
होती थी हमारी मस्ती,
जैसे बिन किनारे की कश्ती…!!
“ बचपना अब भी वही है हममें,
बस ज़रूरतें बड़ी हो गयीं हैं….!!
“ बड़े होने पर हुआ ये एहसास,
बचपन था हमारा बेहद खास…!!
“ बाग़ बग़िया और
तितलियों का ठिकाना,
घड़े का पानी और
पीपल के नीचे सुस्ताना…!!
“किसने कहा नहीं आती वो
बचपन वाली बारिश,
तुम भूल गए हो शायद
अब नाव बनानी कागज़ की…!!
“ बचपन में आकाश को
छूता सा लगता था,
इस पीपल की शाख़ें
अब कितनी नीची हैं….!!!
“ साइकिल से स्कूल जाते हुए मस्ती करना,
एक-दूसरे की साइकिल को खींचते हुए लड़ना,
बहुत ही हसीन वक्त था वो भी,
अब तो उन यारों से बहुत कम होता है मिलना….!!
“ वो बचपन क्या था, जब हम दो रुपए में,
जेब भर लिया करते थे वो वक़्त ही क्या था,
जब हम रोकर दर्द भूल जाया करते थे…!!
“ ले चल मुझे बचपन की उन्हीं
वादियों में ए जिन्दगी,
जहाँ न कोई जरुरत थी
और न कोई जरुरी था….!!
“ बहुत ही संगीन ज़ुर्म को,
हम अंज़ाम देकर आए हैं,
बढ़ती उम्र के साए से,
कल बचपन चुरा लाए हैं….!!
Bachpan Shayari |
|
“ सब कुछ तो हैं, फ़िर क्यों रहूँ उदास,
तेरे जैसा मैं भी बन पाता मनमौजी,
लतपत धूल-मिट्टी से, लेता खुलकर साँस….!!
“ बचपन में शौक़ से जो घरौंदे बनाए थे,
इक हूक सी उठी उन्हें मिस्मार देख कर….!!
“ एक इच्छा है
भगवन मुझे सच्चा बना दो,
लौटा दो बचपन मेरा
मुझे बच्चा बना दो….!!!
“ खुदा अबके जो मेरी कहानी लिखना,
बचपन में ही मर जाऊ
ऐसी जिंदगानी लिखना….!!
“ बिना समझ के भी,
हम कितने सच्चे थे,
वो भी क्या दिन थे,
जब हम बच्चे थे….!!!
“ मोहल्ले वाले मेरे कार-ए-बे-मसरफ़
पे हँसते हैं मैं, बच्चों के लिए
गलियों में ग़ुब्बारे बनाता हूँ….!!
“ हमें याद है आज भी वो दिन,
जब पिटाई खाकर गुजरते थे दिन…!!
“ मां की गोद पिता का कंधा,
बड़ा ही निराला था
वो बचपन का फंडा….!!
“ चलो चलते हैं उस बचपन में यार,
जहां मिलती थी पापा की
डांट और मां का प्यार…!!!
“ मुट्ठी में दुनिया सारी लगती है,
बचपन की तो हर
एक चीज प्यारी लगती है…!!
“ रोते-रोते जब सुबह जागते थे,
याद है वो दिन जब
हम स्कूल से भागते थे…!!
“ बचपन के दोस्त होते थे
बहुत प्यारे,
एक ही चॉकलेट पर
दौड़े चले आते थे सारे….!!
“ जब भी देखता हूं बच्चों का खिलौना,
याद आता है बचपन का दिन अपना…!!!
“ बीत गया बचपन आ गई जवानी,
लाइफ की है बस इतनी ही कहानी….!!
“ मैं आज भी बड़े होने से डरता हूं,
इसलिए तो हर रोज बचपना करता हूं….!!
“ मत कर सुकून की बात ऐ ग़ालिब,
बचपन का रविवार अब नहीं आता….!!!
“ जब भी दुनिया से निराश हो जाता हूँ मैं,
तो खुद को ले जाता हूँ अपने School में,
मैं फिर तरोताजा हो जाता हूँ
जाकर अपने School में….!!
“ न थी चिंता न थी कोई फिक्र,
याद आया आज वो बिता लम्हा,
जब तुमने किया बचपन का जिक्र…..!!!
“ कुछ ऐसा था मेरे बचपन का सफर,
जिसमें मुझे नींद नहीं आती थी
कहानी के बगैर….!!
“ हंसने की भी वजह
ढूँढनी पड़ती है अब,
शायद मेरा बचपन
खत्म होने को है….!!
“ मैं ने बचपन की ख़ुशबू-ए-नाज़ुक,
एक तितली के संग उड़ाई थी…..!!
“ ज़िन्दगी छोड़ आया हूँ
कहीं उन गलियों मे,
जहाँ कभी दौड़ जाना ही
ज़िन्दगी हुआ करती थी…!!
Bachpan Shayari In Hindi |
|
“ दूर मुझसे हो गया बचपन मगर,
मुझमें बच्चे सा मचलता कौन है…!!
“ फिर से बचपन लौट रहा है शायद,
जब भी नाराज होता हूँ
खाना छोड़ देता हूँ….!!
कौन कहता है कि मैं जिंदा नहीं,
बस बचपन ही तो गया है बचपना नहीं।
कुछ यूं कमाल दिखा दे ऐ जिंदगी,
वो बचपन ओर बचपन के दोस्तो से मिला दे ऐ जिंदगी।
ईमान बेचकर बेईमानी खरीद ली,
बचपन बेचकर जवानी खरीद ली.
जिन्दगी जब भी सुकून दे जाती हैं,
ऐ बचपन हमें तेरी याद आती हैं.
हँसते खेलते गुजर जाए वैसी शाम नहीं आती हैं,
होठों पर अब बचपन वाली मुस्कान नहीं आती हैं.
महफ़िल तो जमी बचपन के दोस्तों के साथ,
पर अफ़सोस अब बचपन नहीं है किसी के पास.
बचपन की दोस्ती सभी निभाते हैं,
जरूरत पड़े तो पर बिन बुलाये आते हैं.
इक छोटे से बच्चे सा रूठा है दिल,
खिलौना वही चाहिए, जिससे टूटा है दिल.
भागते बचपन में भी थे,
भागते आज भी है,
“बस्ता” वही है बस
अंदर “सामान” बदल गया है.
बचपन को वो चाँद नहीं दिखा,
जिसे हम घंटों बैठकर निहारते थे.
करवा चौथ का चाँद भी देखा और
ईद का चाँद भी देखा.
जब भी आवाज लगाता है खिलौने वाला,
कितने बच्चों की ख्वाहिशें आज भी टूट जाती है.
एक हाथी एक राजा एक रानी के बग़ैर,
नींद बच्चों को नहीं आती कहानी के बग़ैर.
बच्चा बोला देख कर मस्जिद आली-शान,
अल्लाह तेरे एक को इतना बड़ा मकान.
भूख चेहरों पे लिए चाँद से प्यारे बच्चे
बेचते फिरते हैं गलियों में ग़ुबारे बच्चे
बचपन के किस्सों में जिन्दगी ढूढ़ते हैं,
वो बे परवाह बचपन, वो छोटी-छोटी खवाहिशें
पेट की भूख ने जिन्दगी के हर एक रंग दिखा दिए,
जो बच्चे अपना बोझ उठा ना पाए, पेट की भूख ने पत्थर उठवा दिए.
पुरानी अलमारी से देख मुझे वो खूब मुस्कुराता है,
ये बचपन वाला खिलौना मुझे बहुत सताता हैं.
झूठ बोलते थे फिर भी कितने सच्चे थे हम,
ये उन दिनों की बात हैं… जब बच्चे थे हम…
जरूरी नही रौशनी चिरागों से ही हो,
बेटियाँ भी घर में उजाला करती हैं…
आज ऊँगली थाम ले मेरी,
तुझे मैं चलना सिखलाऊं,
कल हाथ पकड़ना मेरा,
जब मैं बूढ़ा हो जाऊं…!!!!
Heart Touching Bachpan Shayari |
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बचपन के दिन भी कितने अच्छे होते थे,
तब दिल नहीं सिर्फ खिलौने टूटा करते थे.
जब थे दिन बचपन के
वो थे बहुत सुहाने पल
उदासी से न था नाता
गुस्सा तो कभी न था आता…
ख़ुदा अबकी बार जो मेरी कहानी लिखना,
बचपन में ही मर जाऊ ऐसी जिंदगानी लिखना.
बचपन में पैसा जरूर कम था,
पर यकीन मानो उस बचपन में दम था.
शौक जिन्दगी के अब जरुरतो में ढल गये,
शायद बचपन से निकल हम बड़े हो गये।
वक्त से पहले ही वो हमसे रूठ गयी है,
बचपन की मासूमियत न जाने कहाँ छूट गयी है।
शौक जिन्दगी के अब जरुरतो में ढल गये,
शायद बचपन से निकल हम बड़े हो गये।
कोई मुझको लौटा दे वो बचपन का सावन,
वो कागज की कश्ती वो बारिश का पानी।
देखा करो कभी अपनी माँ की आँखों में भी,
ये वो आईना हैं जिसमें बच्चे कभी बूढ़े नही होते।
वो बचपन की अमीरी न जाने कहां खो गई,
जब पानी में हमारे भी जहाज चलते थे।
हँसते खेलते गुज़र जाये वैसी शाम नही आती,
होंठो पे अब बचपन वाली मुस्कान नही आती।
जैसे बिन किनारे की कश्ती,
वैसे ही हमारे बचपन की मस्ती।
बचपन में तो शामें भी हुआ करती थी,
अब तो बस सुबह के बाद रात हो जाती है।
कुछ नहीं चाहिए तुझ से ऐ मेरी उम्र-ए-रवाँ,
मेरा बचपन मेरे जुगनू मेरी गुड़िया ला दे।
मुमकिन है हमें गाँव भी पहचान न पाए,
बचपन में ही हम घर से कमाने निकल आए।
जो सोचता था बोल देता था,
बचपन की आदतें कुछ ठीक ही थी।
ज़िन्दगी छोड़ आया हूँ कहीं उन गलियों मे,
जहाँ कभी दौड़ जाना ही ज़िन्दगी हुआ करती थी।
दूर मुझसे हो गया बचपन मगर,
मुझमें बच्चे सा मचलता कौन है।
बचपन के खिलौने सा कहीं छुपा लूँ तुम्हें,
आँसू बहाऊँ, पाँव पटकूँ और पा लूँ तुम्हें।
जो सपने हमने बोए थे नीम की ठंडी छाँवों में,
कुछ पनघट पर छूट गए, कुछ काग़ज़ की नावों में।
कुछ नहीं चाहिए तुझ से ऐ मेरी उम्र-ए-रवाँ
मेरा बचपन, मेरे जुगनू, मेरी गुड़िया ला दे।
उम्र की सिढ़ी चढ़ थकने लगे है,
कदम जो कई छतें लाँघ जाते थे।
काग़ज़ की नाव भी है, खिलौने भी हैं बहुत,
बचपन से फिर भी हाथ मिलाना मुहाल है।
देर तक हँसता रहा उन पर हमारा बचपना,
जब तजुर्बे आए थे संजीदा बनाने के लिए।
Bachpan Shayari |
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किसने कहा नहीं आती वो बचपन वाली बारिश,
तुम भूल गए हो शायद अब नाव बनानी कागज़ की।
खुदा अबके जो मेरी कहानी लिखना,
बचपन में ही मर जाऊ ऐसी जिंदगानी लिखना।
बचपन से हर शख्स याद करना सिखाता रहा,
भूलते कैसे है? बताया नही किसी ने।
माना बचपन में, इरादे थोड़े कच्चे थे।
पर देखे जो सपने, सिर्फ वहीं तो सच्चे थे।।
एक इच्छा है भगवन मुझे सच्चा बना दो,
लौटा दो बचपन मेरा मुझे बच्चा बना दो।
झूठ बोलते थे फिर भी कितने सच्चे थे हम
ये उन दिनों की बात है जब बच्चे थे
हर एक पल अब तो बस गुज़रे बचपन की याद आती है,
ये बड़े होकर माँ दुनिया ऐसे क्यों बदल जाती है।
बहुत खूबसूरत था,
महसूस ही नहीं हुआ,
कब कहां और कैसे
चला गया बचपन मेरा।
नींद तो बचपन में आती थी,
अब तो बस थक कर सो जाते है।
जिम्मेदारियों ने वक्त से पहले
बड़ा कर दिया साहब,
वरना बचपन हमको भी बहुत पसंद था।
बचपन तो वहीं खड़ा इंतजार कर रहा है,
तुम बुढ़ापे की ओर दौड़ रहे हो।
फिर से नज़र आएंगे किसी और में
हमारे ये पल सारे,
बचपन के सुनहरे दिन सारे।
सपनों की दुनियाँ से तबादला हकीकत में हो गया,
यक़ीनन बचपन से पहले उसका बचपना खो गया।
वो पुरानी साईकिल वो पुराने दोस्त जब भी मिलते है,
वो मेरे गांव वाला पुराना बचपन फिर नया हो जाता है।
बस इतनी सी अपनी कहानी है,
एक बदहाल-सा बचपन,
एक गुमनाम-सी जवानी है।
बहुत शौक था बचपन में
दूसरों को खुश रखने का,
बढ़ती उम्र के साथ
वो महँगा शौक भी छूट गया।
खुशियाँ भी हो गई है अब उड़ती चिड़ियाँ,
जाने कहाँ खो गई, वो बचपन की गुड़ियाँ।
बचपन में भरी दुपहरी में नाप आते थे पूरा मोहल्ला,
जब डिग्रियां समझ में आई तो पांव जलने लगे।
जी लेने दो ये लम्हे
इन नन्हे कदमों को,
उम्रभर दौड़ना है इन्हें
बचपन बीत जाने के बाद।
अब भी तो है बचपना,
प्रेम करते हैं, पर मिल कर नहीं।
वो पूरी ज़िन्दगी रोटी,कपड़ा,मकान जुटाने में फस जाता है,
अक्सर गरीबी के दलदल में बचपन का ख़्वाब धस जाता है।
बिना समझ के भी, हम कितने सच्चे थे,
वो भी क्या दिन थे, जब हम बच्चे थे।
Bachpan Shayari In Hindi |
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जब दिल ये आवारा था,
खेलने की मस्ती थी।
नदी का किनारा था,
कगज की कश्ती थी।
ना कुछ खोने का डर था,
ना कुछ पाने की आशा थी।
चले आओ कभी टूटी हुई चूड़ी के टुकड़े से,
वो बचपन की तरह फिर से मोहब्बत नाप लेते हैं।
आजकल आम भी पेड़ से खुद गिरके टूट जाया करते हैं,
छुप छुप के इन्हें तोड़ने वाला अब बचपन नहीं रहा।
कई सितारों को मैं जानता हूँ बचपन से,
कहीं भी जाऊँ मेरे साथ साथ चलते हैं।
मैं ने बचपन की ख़ुशबू-ए-नाज़ुक,
एक तितली के संग उड़ाई थी।
उम्र-ऐ-जवानी फिर कभी ना मुस्करायी बचपन की तरह;
मैंने साइकिल भी खरीदी, खिलौने भी लेके देख लिए।
होठों पे मुस्कान थी कंधो पे बस्ता था,
सुकून के मामले में वो जमाना सस्ता था।
फिर से बचपन लौट रहा है शायद,
जब भी नाराज होता हूँ खाना छोड़ देता हूँ।
आसमान में उड़ती एक पतंग दिखाई दी,
आज फिर से मुझ को मेरी बचपन दिखाई दी।
मेरा बचपन भी साथ ले आया,
गाँव से जब भी आ गया कोई।
फिर उसके बाद मैं बचपन से निकल आया था,
मोहब्बत मेरी आखिरी श़रारत थी।
ले चल मुझे बचपन की उन्हीं वादियों में ए जिन्दगी,
जहाँ न कोई जरुरत थी और न कोई जरुरी था.!!
बचपन में भरी दोपहरी में नाप आते थे पूरा मोहल्ला,
जब से डिग्रियां समझ में आयी पांव जलने लगे।
बचपना अब भी वही है हममें,
बस ज़रूरतें बड़ी हो गयीं हैं।
बचपन में आकाश को छूता सा लगता था,
इस पीपल की शाख़ें अब कितनी नीची हैं।
उड़ने दो परिंदों को अभी शोख़ हवा में,
फिर लौट के बचपन के ज़माने नहीं आते।
हंसने की भी वजह ढूँढनी पड़ती है अब,
शायद मेरा बचपन खत्म होने को है।
जिंदगी फिर कभी न मुस्कुराई बचपन की तरह,
मैंने मिट्टी भी जमा की खिलौने भी लेकर देखे।
रोने की वजह भी न थी, न हंसने का बहाना था,
क्यो हो गए हम इतने बडे,
इससे अच्छा तो वो बचपन का जमाना था।
वो बचपन की अमीरी न जाने कहां खो गई,
जब पानी में हमारे भी जहाज चलते थे।
बचपन से बुढ़ापे का बस इतना सा सफ़र रहा है,
तब हवा खाके ज़िंदा था अब दवा खाके ज़िंदा हूँ।।
तुम मुझे से खुद को प्यार करने से तो बचा लोगे, पर
मेरी यादों को कैसे भुला पाओगे जो हमारे बचपन में गुजरा है।
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तो दोस्तों कैसी लगी आपको यह Bachpan Shayari In Hindi मुझे आशा कि आपको यह Heart Touching Bachpan Shayari आपको बहुत ही पसंद आयी होगी।
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